Focusing :
मुझे तो मेरे कॉलेज दिनों में लगता था कि, कोई मन पढ़ाई में लगाने के बारे में तो बात ही न करे। क्योंकि मेरा पढ़ाई में मन ही नहीं लगता था। मन को कितना भी कोशिश करके पढ़ाई में लगाने की कोशिश करो कभी लग ही नहीं पता था। थोड़ी देर किताबों पर मन लग भी जाए तो भी उसे पढ़ने में मज़ा भी नहीं आता था। मैं भी आपकी तरह लोगों से पूछता था कि, “मेरा पढ़ाई में मन नहीं लगता क्या करूं ?” लोग कहते “मत पढ़” लेकिन हम खुद जानते है की पढ़ाई कितनी जरूरी होती है।
लेकिन जब मैंने focusing (मन लगाने) की playing with scoping the subject तकनीक को जाना है उसके बाद किसी भी विषय को पढ़ते वक्त खेल की तरह मज़ा आता था। और जब मज़ा आता है तो मन अपने आप लग जाता है और लक्ष केंद्रित हो जाता है।
Let’s play, Scoping the Subject!
विद्यार्थियों के कई सारे शैक्षणिक परेशानियों में से एक परेशानी है की, ‘गुरुजी जो पढ़ा रहे हैं वह सर के ऊपर से निकल जाना।’ बहुत सारे विद्यार्थियों को यह समझ नहीं आता की, वह क्या पढ़ रहे हैं और अगर समझ भी आए तो उस वक्त के लिए याद रहता है फिर वह भूल जाते हैं। यह एक बहुत सारे विद्यार्थियों की पढ़ाई को लेकर परेशानी है। तो इस परेशानी के लिए आपको playing with Scoping the Subject तकनीकी खेल को जानना होगा।
Playing with scoping the subject : (पढ़ाई में मन नहीं लगता तो खेलो) तकनीक आखिर है क्या ?
Playing with scoping the subject : (पढ़ाई में मन नहीं लगता तो खेलो) यह तकनीक कुछ ऐसी है, इसमें कुछ समय निकालकर जो आपको पढ़ना है या जिस पढ़ाई में आपका मन नहीं लग रहा है उस विषय को एकबार पुरी तरीके से सिर्फ ऊपर ऊपर से उसके सभी पैलू को देखना होता है और उसके संदर्भ मजेदार चीजों के बारे में जानना होता है।
- जो विषय / chapter / किताब पढ़ना है, उसका क्या संदर्भ है? उससे क्या कोई पैटर्न बन रहा है? उसमें कौन कौनसी चीज़ें है? उसमे किस तरह के points है? आदि। सभी चीजों को संपूर्ण तरीके से देखना है और उन सब चीजों को एक छोटे सारांश में लिखना होता है, जो हमे पढ़ना है।
. - फिर जब आप ऊपर ऊपर से सब देखोगे तो आपको पता चलेगा कि, आखिर इसमें बताना क्या चाहता है? तो उसके बाद उसे तुरंत पढ़ने की जगह आप एक काम कीजिए, जो भी आपने अभी देखा उसके अलावा उसी विषय के संदर्भ में पुरे मन से google, youtube या किसी अन्य social media पर ढूंढिए ऐसा कुछ मिलता है क्या जिसे देखकर आपको मज़ा आए।
Key ideas : लेखक की जीवन कथा, किसी टॉपिक के रिसर्च वीडियो, किसी व्यक्ति के ऊपर बनी movie, case studies, Biography, documentary, speech, story, book, article, etc
Ex 1 : अगर आप गणित का Pythagoras चैप्टर पढ़ रहे हो और आपका पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है तो उस चैप्टर को पढ़ने से पहले आप youtube पर जाकर Philosopher Pythagoras के जीवन के बारे में जान सकते है। की वे कैसे थे? उन्होंने कैसे रिसर्च किया? उन्होंने pythagoras के शिद्धांत को किस तरह बनाया? उन्हें कितनी कठिनाइयां आई? आदि।
Playing with scoping the subject : (पढ़ाई में मन नहीं लगता तो खेलो) इस तकनीक से क्या होगा?
हम सब विद्यार्थी हमेशा वही पढ़ने की और समझने की कोशिश में लगे रहते हैं जो उन किताबी पन्नों में दिया होता चाहे उसे पढ़ने में हमारा मन ना लगे। लेकिन उन किताबों में उसके बारे में सब कुछ नहीं दिया होता। उसमें सिर्फ जो परीक्षा के लिए उपयुक्त या फिर उस वक्त के लिए जरूरी है वही दिया होता है। इसीलिए हम उस विषय को सीमित रहकर पढ़ेंगे तो हमारा भी दिमाग उसे सीमित समय तक ही याद रखेगा। दिमाग को हमेशा चीजों की गहराई चाहिए होती है। किसी विषय के बारे में जितना ज्यादा हमें पता होगा वह चीज दिमाग में ज्यादा देर तक रहने और जादा मन लगाकर मज़े के साथ उसे पढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।
इसीलिए जब हम उसी विषय के बारे में कुछ मजेदार सी चीजे देखते है या पढ़ते है तो दिमाग को ऐसे लगता है कि, वह उस चीज़ का जादा knowledge रखता है और जब आप उस चैप्टर को पढ़ने जाओगे तो आपको मज़ा आने लगेगा। आपको वह चैप्टर उसके बारे में देखे हुए मझेदार चीज़ से relate हो जायेगा। और आपको पढ़ाई खेल की तरह मजेदार लगने लगेगी। अब जो आपका मन नहीं लग रहा था वह भी अपने आप लग जाएगा।
Playing with scoping the subject तकनीक उस विषय के पूरे कंकाल को छानने की तरह है। जैसे : पेड़ के विषय में छानना हो तो पेड़ के बारे मे, उसके शाखाओं के बारे में, उसके पत्तों, फूलों के बारे में जानना जरूरी होता है। जब हमें यह सब पता होगा तभी पेड़ को अच्छे से हम समझ कर याद कर पाएंगे। Playing with scoping the subject तकनीक में पेड़ को देखकर उसकी शाखाएं कहां–कहां जा रही है, उसे क्या क्या चीजें लगी हुई है, यह देखना है। मतलब उस एक विषय के सभी पैलु को जानकर खेल खेल में मन लगाकर पढ़ना है।
अगर आप इस Playing with scoping the subject तकनीक को इस्तेमाल करोगे तो न सिर्फ परीक्षा के लिए बल्कि परीक्षा के अलावा खुद के लिए भी बहुत फायदेमंद होगा।
” परीक्षा सिर्फ एक दिन की होती है लेकिन हासिल किया हुआ ज्ञान जिंदगी भर के लिए होता है।
इसलिए परीक्षा के लिए नहीं बल्कि ज्ञान प्राप्ति के लिए पढ़ें। “