What is Communication In Hindi
Communication (संचार) किसी भी जानकारी, विचार या भावना का किया गया आदान प्रदान को कहा जाता है। वह व्यक्तिगत, लोगों और समूह के साथ किया जाता है। communication में अपनी बात दूसरों को समझाने के लिए कहीं तरह के प्रतीक, चिह्न, शब्द और इशारों का भी उपयोग होता है। यह verbal (मौखिक) और non verbal (अशाब्दिक या गैर मौखिक) तरीके से भी किया जाता है। इनमें कहीं सारे तरीके होते है जैसे: आमने सामने बात करना, लिखित संदेश, फोन कॉल, वीडियो, ईमेल, टेक्स्ट संदेश, आदि।
आज के वक्त effective communication (बेहतरीन संचार का कौशल) का होना बहुत ज़रूरी है किसी भी क्षेत्र में, चाहे वह व्यक्तिगत रिश्तों में हो, पढ़ाई में हो, business communication (व्यवसाय संचार) में हो, या खेल के क्षेत्र में हो। यह हमें हमारे रिश्तों को मजबूत बनाने, खुदको आगे बढ़ने और लक्ष को हासिल करने में मदत करता है। तो हम जानेंगे कि, संचार के महत्व को…
Importance of Communication in Hindi
आज के दौर को देखते हुए हम सबको मालूम है कि, communication कितना जादा हमारी जिंदगी का महत्वपूर्ण घटक बन गया है। इसे बिना तो हम कुछ भी नहीं कर सकते। हमारे जिंदगी के हर हिस्से और हर क्षेत्र में इसका बहुत बड़ा मूल्य है। तो आइए कुछ मूल कारणों को देखते है जिसे communication के महत्व को जान सके।
Types of Communication in Hindi
लोगों के जानकारी या विचारों को साझा करने के तरीकों और माध्यमों को देखते हुए Types of communication (Communication के प्रकारों) को 8 हिस्सों विभाजित किया गया है। अगर हम अच्छे से समझें की आखिर 8 types of communication क्या क्या होते है तो हम उसे हमारे व्यक्तिगत और पेशेवर रिश्तों को ओर बेहतर करने में इस्तेमाल कर सकते है, तो चलिए देखते है…
1. Verbal Communication (मौखिक संचार) :
Verbal communication में जानकारी या संदेश को दूसरे तक पहुंचाने के लिए शब्दों और भाषा का इस्तेमाल करना पढ़ता है। इसमें बोलना, सुनना और उसका प्रतिसाथ देना भी होता है। इसे भी कहीं सारे माध्यमों से किया जाता है जैसे: आमने सामने, फ़ोन कॉल, वीडियो, भाषण, आदि। Verbal communication में सिर्फ शब्दों को मायने नहीं रखा जाता बल्कि उसके साथ साथ उन शब्दों को किस भावना, संवेदना, आवाज और इशारे के साथ बोला गया है इसे भी देखा जाता है।
2. Nonverbal Communication (अशाब्दिक / गैर मौखिक) :
Nonverbal communication में जानकारी या संदेश को एक दूसरे को पहुंचाने के लिए किसी भी शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाता है। बिना किसी शब्दों के इसमें संवाद किया जाता है। जैसे: Body language (शरीर के अंगों की हालचाल करके), चेहरे पर हावभाव बदलकर, इशारा करके, अलग तरह की आवाज निकलकर, आंखों में आंखे डालकर, आदि। nonverbal communication किसी उद्देश या बिना किसी उद्देश के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन non verbal communication से verbal communication को बेहतर करने में सहाय्यता मिलती है।
3. Written Communication (लिखित संचार) :
Written communication इसे पढ़कर ही आप समझ गए होंगे की यह क्या है। written communication में आप जानकारी या विचार को लिखित शब्दों में एकदूसरे तक पहुंचाते है। लिखित संचार या संवाद करने के कहीं सारे माध्यम है। जैसे: खत, टेलीग्राफ, संदेश पत्र ईमेल, आदि। written communication का उपयोग आजकल बहुत कम देखने को मिलता है आधुनिक तकनीकी के वजह से। लेकिन आज भी इसका इस्तेमाल व्यवसायों और शैक्षणिक जगह पर औपचारिक या अनौपचारिक रूप से किया जाता है।
4. Visual Communication (दृश्य संचार) :
Visual communication में जानकारी या विचारों को दृश्यमान तरीकों से दूसरों को समझाया जाता है। दृश्यमान घटक जैसे: images, graphs (आलेख), chart, videos, नक्शा, संरचना, आदि का इस्तेमाल किया जाता है। अन्य प्रकारों के संचार या संवादों को आसान और बेहतरीन तरीके से समझाने के लिए भी visual communication का इस्तेमाल किया जाता है। इसका उपयोग कहीं क्षेत्रों में होता है। जैसे: विपणन के लिए, प्रस्तुति करने के लिए, वेबसाइट के लिए, आदि। इसकी मदत से हम जटिल जानकारी को आसान रूप में लोगों को समझा सकते है।
5. Digital Communication (अंकीय / डिजिटल संचार) :
Digital communication में किसी भी जानकारी या विचार को डिजिटल माध्यमों का उपयोग करके एक दूसरे को भेजा जाता है। digital communication के लिए आज के समय में कहीं सारे माध्यम उपलब्ध है। जैसे: ईमेल, text msg, सोशल मीडिया, आदि। आज के समय में सबसे जादा संचार और संवाद के लिए इस्तेमाल होने वाला लोकप्रिय माध्यम digital communication बन गया है। यह बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इसकी मदत से हम दुनिया के किसी भी इंसान के साथ संवाद कर सकते है इसलिए इसकी वजह से पूरी दुनिया एक दूसरे से जुड़ गई है।
6. Interpersonal Communication (अंतर्व्यक्तिगत संचार) :
Interpersonal communication में जानकारी, संदेश, विचार या भावनाओं का साझा वैयक्तिक रूप से दो या अधिक लोगों के बीच किया जाता है। इसमें आमने सामने जिसमें शारीरिक हालचाल, चेहरे का भाव, आंखे, बोलने की आवाज सब चीजें शामिल होती है। interpersonal communication हमारे दैनिक जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा निभाता है। इसकी वजह से ही हम एक रिश्ता बना पाते है जो दो लोगों के बीच होता है और दूसरा विशिष्ट समूह से वैयक्तिक बात करना जैसे: meetings. इससे हम व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों रिश्तों को बना पाते है।
7. Group Communication (समूह संचार) :
Group communication में जानकारी या विचार को समूहों के लोगों के साथ साझा किया जाता है। इसमें भी कहीं सारे माध्यम विकसित हुए है। आमतौर पर, आमने सामने समूह से बात होती है लेकिन आज दूसरे माध्यमों का जादा उपयोग हो रहा है जैसे: conference call, video conference, meet, zoom, आदि। व्यवसाय और शैक्षणिक क्षेत्र में सबसे ज्यादा group communication का इस्तेमाल हो रहा है अपने परियोजनाओं को पूरा करने के लिए और निर्णय लेने के लिए।
8. Mass Communication (जन संचार) :
Mass communication में कहीं सारे लोगों के साथ किसी जानकारी या संदेश पहुंचाया जाता है। mass communication के माध्यम जैसे: TV, रेडिओ, समाचारपत्र, सोशल मीडिया, आदि। इसका इस्तेमाल कई सारे लोगों को विशिष्ट जानकारी देने या कुछ सिखाने या मनोरंजन करने के लिए की जाती है ताकि कहीं सारे लोगों पर या जनता की राय, दृष्टिकोण, और व्यवहार पर प्रभाव पढ़ सके। mass communication की मदद से हम जानकारी को दुनिया की किसी भी कोने तक पहुंचा सकते है।
Elements & Process of Communication in Hindi
Elements of communication उन तत्वों को दिखता है जिसके बिना communication का सफल हो पाना संभव नहीं है। यह elements (तत्व) किसी भी तरह का संचार करते वक्त मौजूद होते है। वैसे मुख्य 7 elements of communication (संचार के तत्व) होते है और हर तत्व एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अगर कोई एक element न हो या अच्छे से भूमिका न निभाता है तो पूरी communication टूट जाति है।
Process of communication उस प्रक्रिया को दर्शाती है जिसमें दो या उससे अधिक लोगों के बीच किसी जानकारी या विचार को किस तरह से आदान प्रदान किया जाता है। Process of communication (संचार की प्रक्रिया) में कहीं सारी चीज़ें होती है। और संचार के तत्व की भूमिकाएं भी होती है जिससे बेहतरीन संचार हो पाता है। इस संचार प्रक्रिया में हम वे तत्व कैसे काम करते है यह जानते है।
Elements of Communication in Hindi (संचार के तत्व)
1. Sender (प्रेषक) :
Sender (प्रेक्षक) यह वह व्यक्ति होता है जो किसी भी संचार या संवाद की शुरुवात करता है। उसके पास कोई जानकारी या विचार होता है जो किसी दूसरे व्यक्ति के साथ या लोगों के साथ साझा करनी होती है।
2. Message (संदेश) :
Message (संदेश) वह जानकारी या विचार होता है जो कोई प्रेक्षक दूसरों के साथ बांटना चाहता है। यह संदेश किसी भी रूप में हो सकता है मौखिक, अशाब्दिक, या लिखित हो सकता है। संदेश ही है जिसकी वजह से दो लोगों में रिश्ता बनता है।
3. Encoding (एन्कोडिंग) :
Encoding यह एक प्रक्रिया है जिसमें प्रेक्षक अपने संदेश को इस तरह से रूपांतरित करता है कि, सामने वाले व्यक्ति या लोगों को वह अच्छे से समझ आए। प्रेक्षक अपने श्रोताओं के हिसाब से अपने विचारों या बातों को बताता है।
4. Channel (माध्यम) :
Channel (माध्यम) वह होता है जिसकी मदत से प्रेक्षक अपना संदेश श्रोताओं तक पहुंचाता है। वह माध्यम आमने सामने बात करना हो, फोन कॉल, लिखित पत्र, या कोई भी माध्यम हो सकता है जिससे वह अपनी जानकारी भेज सके।
5. Decoding (डिकोडिंग) :
Decoding (डिकोडिंग) वह प्रक्रिया होती है जब कोई श्रोता अपने प्रेक्षक के बताए संदेश या जानकारी को समझने की कोशिश करता है। श्रोता को मिला हुआ संदेश जानने के लिए उसे अपने विचारों से उसे समझना होता है।
6. Receiver (श्रोता / पानेवाला) :
Receiver वह व्यक्ति या लोगों को कहा जाता है जिन्हे प्रेक्षक अपना संदेश साझा करता है। उन्हें प्रेक्षक द्वारा भेजी गई जानकारी या विचारों को डिकोड करना पढ़ता है ताकि उसे समझकर उसका प्रतिसाथ दे सके।
7. Feedback (प्रतिसाथ / प्रतिक्रिया) :
Feedback (प्रतिक्रिया) उसे कहा जाता है जब कोई व्यक्ति या लोग अपने मिले संदेश के बदले प्रेक्षक को कुछ वापस कहना या बताना चाहते है। इसी प्रतिक्रिया को देखकर समझ आता है कि, लोगों के पास संदेश पहुंचा की नहीं और वह उन्हें समझ आया की नहीं। इससे यह भी पता चलता है कि, communication बेहतर तरीके से हो पाया है की नहीं।
Process of Communication in hindi (संचार की प्रक्रिया)
Sender → Masage → Encoding → Channel → Receiver → Decoding → Feedback
Sender (प्रेक्षक) के पास एक विचार या जानकारी होती है।
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प्रेक्षक उस जानकारी को encode करता है आसान भाषा में जिसे receiver समझ सके।
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प्रेक्षक उसके लिए एक माध्यम तय करता है जिस माध्यम से वह बेहतर संदेश पहुंचा सके।
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संदेश को माध्यम की मदत से दूसरे व्यक्ति या लोगों तक भेजा जाता है।
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श्रोता या उस संदेश को पाने वाला उसे वह जानकारी या विचार मिल जाता है।
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संदेश मिलने के बाद वह उस संदेश को समझने के लिए decode करता है।
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संदेश समझने के बाद receiver उस संदेश का जवाब वापस प्रेक्षक को भेजता है
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इस तरह से एक सफल process communication (संचार की प्रक्रिया) हो पाती है।
” संचार में न केवल बोलना होता है बल्कि सुनना, समझना और उसके साथ जुड़ना भी होता है। यही वह नींव होती है जिससे बेहतर रिश्तें बनते है और सफलता मिलती है! “
Barriers of communication in hindi
communication में आने वाली बढ़ाए, ऐसी कुछ बढ़ाएं होती है जिनकी की वजह से बेहतर संचार नहीं हो पाता है। जिससे प्रेक्षक के कहे गए विचार या संदेश की गलतफहमी और गलतधारना receiver को होना संभव है। यहां हम कुछ बाधाओं के बारे में जानेंगे, जो हमारे communication को खराब करते है…
1. Language barriers
Language barriers (भाषा अवरोध) तब होता है जब दो व्यक्ति या लोग अलग-अलग भाषा जानते हैं और एक दूसरे के भाषा का कम ज्ञान रखते हैं। तो उन्हें एक दूसरे की बातें समझने में दिक्कत या बाधाएं आ सकती है। इससे उन्हें प्रेक्षक से साझा किया गया विचार या जानकारी की गलतफहमी या गलत धारणा भी हो सकती है।
Solution (उपाय) : अनुवादक या दुभाषिया का इस्तेमाल करना, सहज भाषा का इस्तेमाल करना, आदि।
2. Cultural barriers
Cultural barriers (सांस्कृतिक बाधाएं) तब होती है जब संचार में सहभागित लोग अलग-अलग संस्कृति से आए हो और उन के मूल्य, रिवाज, विचार और भावनाएं एक दूसरे से अलग हो। सांस्कृतिक बाधाओं से उलझन और विरोध भी हो सकता है अगर कोई विचार या संदेश को सांस्कृतिक रूप से उचित तरीके के से न कहा गया हो।
Solution (उपाय) : सभी संस्कृतियों के बारे में जानकारी रखे और सभी संस्कृतियों का सम्मान करते हुए बात करे।
3. Physical barriers
Physical Barriers (भौतिक बाधाएं) तब आती है जब संचार में सहभागित लोग एकदूसरे से दूर हो, ऊंची आवाज में किया गया संचार हो या वे एकदुसरे को दिखाई न देख रहे हो। इस तरह की भौतिक बाधाओं से प्रेक्षक से भेजे गए संदेश को सुनना, देखना या उसे समझना मुश्किल हो जाता है और इससे communication में रुकावट आती है।
Solution (उपाय) : दूरी को कम करके बात करना, फ़ोन कॉल या वीडियो कॉल जैसी तकनीकी का उपयोग करना, लिखित संदेश भेजना।
4. Psychological barriers
Physiological barriers (मनोवैज्ञानिक बाधाएं) संचार में तब आती है जब उसमे सहभागीत व्यक्ति या लोगों की भावनाएं, मनोवृत्ति, संस्कार, धारणाएं, एकदूसरे से अलग हो। उदाहरण में अगर कोई व्यक्ति डर के साथ कोई बात को कह रहा है तो वह उसे उतने बेहतरीन तरीके से नहीं कह पाएगा। या अगर वह किसी चीज को मानता है और आप उस चीज को नहीं मानते है तो दोनों में विरोध हो सकता है।
Solution (उपाय) : भरोसा दिलाना, अच्छे से सुनना, अगर कोई गलतफहमी हुई तो उसे दूर करना, सकारात्मक शब्दों का प्रयोग करना।
Conclusion
Communication मानव जीवन का बहुत महत्वपूर्ण भाग है। जो हमें हमारे विचार, भावनाएं एकदुसरे से साझा करने का अवसर प्रदान करता है। Effective communication तभी होता है जब हम न केवल जानकारी को दूसरे के साथ साझा करते हैं, बल्कि यह पुष्टि भी करते हैं कि उन्हें वह जानकारी या विचार समझ आए हैं या नहीं। यह संचार हम कई सारे माध्यमों द्वारा करते हैं जो कि मौखिक, गैर मौखिक या लेखिक रूप से हो सकता है।
हमने इस आर्टिकल में संचार के बारे में बहुत कुछ जाना है। Communication क्या है, इसका जीवन में महत्व क्या है, संचार किन-किन माध्यमों द्वारा कर सकते हैं, उसके तत्व और प्रक्रिया क्या हैं, आदि जानकारी हमने इसमें जानी है। तो आपको यह आर्टिकल कैसा लगा हमें comment box में बता सकते हो और अगर आप का कोई सवाल है या फिर आप कुछ हमसे कहना चाहते हो तो भी comment करके बता सकते हो। हम यह अपना आर्टिकल यही खत्म करते हैं और आपको फिर मिलेंगे अगले आर्टिकल में, धन्यवाद !
Good
Very good👍